प्रेगनेंसी के पहले 3 महीनों में कैसे रखें अपना खास ध्यान।

मां बनना एक अनोखा एहसास है। प्रेगनेंसी और यह एहसास कभी भी जीवन में आपके पास दुबारा नहीं आ सकता है और इसके लिए आपको इस एहसास को बरकरार रखने के लिए बहुत सारी मन्नते और बहुत सारे सतर्कता बरतनी पड़ती है।
प्रेगनेंसी के पहले 3 महीनों में
मां बनने के दौरान आपको जीवन के हर एक दिन बहुत ही ज्यादा सावधानी और बहुत ही ज्यादा ध्यान पूर्वक चलना पड़ता है चाहे वह खाने से की बात हो, चाहे वह आपके चलने की बात हो, चाहे वह आपके सोने के बात हो। यानी कि मां बनने के बाद आपकी पूरी दिनचर्या एक बहुत ही सावधान तरीके से और बहुत ही सतर्कता के साथ रखनी पड़ती है।

आपको बता दें तो महिलाएं अपनी प्रेगनेंसी की गिनती पिरियड की आखिरी दिन से करती हैं और उसी दिन से वह 9 महीने पूरे होने की गिनती शुरु कर देती है।
आपको बता दें तो हर एक डॉक्टर एक गर्भवती महिला को यही सलाह देती है कि उनके शुरुआती 3 महीनों में वह अपना खास ध्यान रखें जिससे कि वह अच्छी तरीके से अपने आप को और अपने बच्चों को आने वाले समय में पालन पोषण कर सकती हैं।
क्योंकि वह शुरुआती 3 महीने प्रेगनेंसी, जो कि आने वाले बच्चे का प्रीमेच्योर स्टेज चल रहा होता है, जिसमें अगर आप थोड़ी भी असावधानी करती हैं थोड़ी भी असतर्कता बरती तो, उसका सीधा सीधा असर आपके होने वाले बच्चे पर और आपके हेल्थ पर पड़ेगा।
तो आइए जानते हैं कि आखिरकार किस तरीके से आपको प्रेगनेंसी के पहले 3 महीनों में अपना खास ध्यान रखना है । और किस तरीके से चीजों को बैलेंस करके चलना है जिससे कि आप और आपका बच्चा दोनों ही स्वस्थ रहें।
पहली तिमाही यानी कि फर्स्ट ट्राइमेस्टर में बांटा जाता है। पहले 3 महीने फर्स्ट ट्राइमेस्टर के चरण में आते हैं। इस दौरान गर्भ में भ्रूण का विकास होना शुरू होता है। महिला का शरीर कई तरह के शारीरिक और हार्मोनल बदलावों से होकर गुजर रहा होता है। ये महीने सबसे ज्यादा चुनौती-भरे दिन भी होते हैं, इन्हीं महीनों में अबॉर्शन की आशंका सबसे ज्यादा बनी रहती है।
आपको बता दें उस समय महिलाओं को पूरा ही डॉक्टरों की सलाह पर चलना चाहिए , यानी डॉक्टर आपको जिस तरीके से बोले उसी तरीके से आपको हर एक काम को करना चाहिए डॉक्टर से बिना पूछे कोई भी दवाई और कोई भी मेडिसिन का सेवन नहीं करना चाहिए उस वक्त में खास करके।
आपको पूरी तरीके से अपने आपको डॉक्टर की निगरानी में रखना है और डॉक्टर की सलाह को सबसे पहले दायित्व देना है और उनके सलाह के अनुसार ही सभी काम को करना है।
साथ ही पूरा रूटीन चेकअप कराते रहना है चाहिए । यानी कि आप क्या खा रहे हो ? क्या कर रहे हो ? क्या- क्या फल और जूस पी रहे हो?
आपको रूटीन चेकअप में यह चीजें करानी चाहिए जैसे कि एंटीनेटल स्क्रीनिंग टेस्ट (ब्लड ग्रुप और आरएच, हीमोग्लोबिन, ब्लड शुगर, स्क्रीनिंग फॉर इन्फेक्शंस – एचआइवी, सिफलिस, रुबेला, हेपेटाइटिस सी, हीमोग्लोबिनोपैथीज)नियमित रूप से जांच कराएं।
गर्भवती होने के दौरान हर 15 दिन के बाद आपको डॉक्टर के साथ एक मुलाकात करनी चाहिए और अपने बारे में बात करनी चाहिए और आने वाले असुविधा के बारे में भी तैयारी कर लेनी चाहिए।